Sunday 24 March 2013

कल क्यूँ नहीं लिखा |


कभी लिखने बैठता हूँ तो सोचता हूँ,

कि कल क्यूँ नहीं लिखा था !


क्या कल ख्याल नहीं थे मन में ?

या श्याही खत्म हो गयी थी ?

या एकांत नहीं था, जिसे ढूँढता था मैं बड़ी तलब से,

पर अब जिससे उबकाई आती है !



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